यथार्थवादी सिद्धांत समूह के अस्तित्व की यथार्थता पर जोर देकर समूह की स्वतंत्रता और उसके अधिकारों के नीतियुक्त स्वीकरण की मांग करता है।
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यथार्थवादी सिद्धांत समूह के अस्तित्व की यथार्थता पर जोर देकर समूह की स्वतंत्रता और उसके अधिकारों के नीतियुक्त स्वीकरण की मांग करता है।
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यथार्थवादी सिद्धांत उन समितियों के विधिक व्यक्तित्व को भी स्वीकार करता है जिन्हें विधिक मान्यता भी न मिली हो, यथा रोमन डच विधि जिसने कंपनीज ऐक्ट के लागू होने के पूर्व ही बिल्डिंग सोसायटी को मान्यता दे दी।
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यथार्थवादी सिद्धांत उन समितियों के विधिक व्यक्तित्व को भी स्वीकार करता है जिन्हें विधिक मान्यता भी न मिली हो, यथा रोमन डच विधि जिसने कंपनीज ऐक्ट के लागू होने के पूर्व ही बिल्डिंग सोसायटी को मान्यता दे दी।